भारतीय इतिहास संकलन समिति, पंजाब द्वारा 2000 से अधिक सेना व पुलिस कर्मियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने की बजाए सशस्त्र विरोध करने वाले 4 बब्बर अकाली लहर के योद्धाओ की याद में किया गया श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन

गद्दारों के महिमा मंडन की बजाए देश के शहीदों के प्रति युवाओं को जागृत करना ही होगा – डॉ अनुराग शर्मा


जालंधर,04 सितंबर (टिंकू पंडित):- भारतीय इतिहास संकलन समिति, पंजाब द्वारा
भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में सशस्त्र क्रांतिकारी योगदान करने और 01 सितंबर 1923 को बबेली, जिला कपूरथला में करीब 2000 सेना व पुलिस कर्मियों का सामना करते हुए शहीद हुए बब्बर अकाली लहर के बब्बर कर्म सिंह (दौलतपुर), बब्बर उदयसिंह (रामगढ़ झूंगिया), बब्बर बिशन सिंह मांगट तथा बब्बर महिंद्र सिंह (पंडोरी गंगा सिंह) की शहादत के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में स्थानीय डी ए वी इंस्टिच्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में एक श्रद्धांजली समारोह का आयोजन किया गया।

अखिल भारतीय क्रांतिकारी शहीद यादगार समिति, देवास (मध्य प्रदेश) के अध्यक्ष रवींद्रनाथ भारद्वाज ने मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थिति का मार्गदर्शन किया। स्वागत समिति द्वारा पुष्पित अभिनंदन के पश्चात डॉ राजेश ज्योति ने उपस्थित विद्वानों व श्रोताओं का स्वागत किया। वक्ताओं ने स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी योद्धाओं को सादर नमन करते हुए उन्हें स्मरण किया।भारतीय इतिहास संकलन समिति के गठन, उसके कार्यो व वर्तमान में उसकी सार्थकता की विस्तृत चर्चा की। पंजाब में समिति के गठन,उसके कार्यो के संचालन करने वाले प्रो बलवंत सिंह ठाकुर की सहभागिता का सराहना की गई। इस अवसर पर रवींद्रनाथ भारद्वाज ने कहा कि जो राष्ट्र अपने शहीदों को याद नहीं करते है उस राष्ट्र का नाम इतिहास से भी मिट जाता है,इसलिए हमारा यह राष्ट्रीय दायित्व है कि हम अपने शहीद पूर्वजों की यादगार को स्थायी बनाएं, इसे पाठ्यपुस्तकों व अन्य उपलब्ध आधुनिक संसाधनों के माध्यम से अपने विद्यार्थियों, जनसाधरण को उनके बलिदानों के प्रति जागृत करें। शहीदों की स्मृतियों में स्मारक स्थापित करें। उन्होंने पावन गुरुबाणी *”सूरा सो पहचानिए, जो लड़े दीन के हेतु, पुर्जा पुर्जा कट मरे कबहूं न छाडे खेत”* का उदाहरण देते हुए पावन गुरुओं के जीवन चरित्र से दिशा निर्देश लेने का अनुरोध किया।

भारतीय इतहास संकलन समिति पंजाब के अध्यक्ष डॉ अनुराग शर्मा ने कहा कि देश की आजादी लहर के गद्दारों के महिमा मंडन की बजाए देश के शहीदों के प्रति युवाओं को जागृत करना ही होगा । वर्तमान में युवा हर बात के लिए तर्क आधारित जानकारी चाहता है, उसके लिए सक्रिय भी है, जरूरत उन्हें सही दिशा दिखाने की है।
शहीद बब्बर कर्मसिंह स्मारक न्यास, दौलतपुर के प्रतिनिधियों ने बब्बर आंदोलन और स्वतंत्रता संघर्ष में उनके क्रांतिकारी सहयोग के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि गत 27 अगस्त को एक विशाल नगर यात्रा का आयोजन किया गया था जो बब्बर कर्म सिंह की जन्मभूमि, कर्मभूमि दौलतपुर से आरंभ होकर सभी शहीदों के गांवों का भ्रमण करने के बाद मुख्य शहीद स्थल बबेली तक आई और उनके स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। पंजाब के पूर्व शिक्षा उपनिदेशक कमल कांत ऐरी द्वारा विशिष्ट व्यक्तियों का परिचय करवाया गया।

आयोजन समिति के प्रांतीय अध्यक्ष डा. अनुराग शर्मा ने उपस्थित महानुभावों एवम् श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया किया, जिनकी सहभागिता से यह श्रद्धांजलि समागम सफल हुआ। आयोजकों की ओर से विशिष्ट व्यक्तियों, देशभक्ति गीतों से समागम में जान भरने वाले स्थानीय सर्वहितकारी विद्या निकेतन, केशव विद्या निकेतन के विद्यार्थियों, प्रबंधक मण्डल के प्रति आभार व्यक्त किया । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय समरसता प्रभारी प्रमोद कुमार , प्रो. आर.के. पाराशर द्वारा विशिष्ट अतिथियों को गौरव चिन्ह एवम अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

समागम का शुभारंभ पवित्र सरस्वती वंदना से और समापन राष्ट्र गीत वन्दे मातरम के गायन से हुआ।
मंच संचालन प्रदेश समिति के महासचिव शशिकांत लोमश द्वारा किया गया।
इस दौरान समिति के प्रांतीय, स्थानीय इकाई के अध्यक्ष डा आर.के.सेठ, पूर्व संसदीय सचिव के ड़ी भंडारी, डा.विनीत मेहता, लघु उद्योग भारती पंजाब के उपाध्यक्ष विक्रान्त शर्मा, एडवोकेट जवाहर नागर, रमेश विज, राज कुमार चौधरी,कैलाश ठुकराल, किशन लाल शर्मा, रामपाल शर्मा विभिन्न समविचारक संगठनों के पदाधिकारी,भाजपा नेता, कार्यकर्ता, बुद्धिजीवियों ने समारोह संयोजन में सक्रिय सहयोग दिया।

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