नवरात्रि का तीसरा दिन, क्या है माँ चंद्रघंटा की पूजा-विधि, माँ को प्रसन्न करने के लिए किस वस्तु का लगाएं भोग, पढ़े सिर्फ वीर केसरी पर…

इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है इसलिए इन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है

जालंधर,03 अप्रैल-(टिंकू पंडित):- 04 अप्रैल 2022 दिन सोमवार को चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को देवी मां दुर्गा शक्ति की तीसरी शक्ति मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है। मां चंद्रघंटा का स्वरूप सुंदर,मोहक,अलौकिक, कल्याणकारी व शांति प्रदान करने वाला है। मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग सोने के समान चमकीला है।चंद्र के समान सुंदर मां के इस रूप से दिव्य सुगंधियों और दिव्य ध्वनियों का आभास होता है। इनकी 10 भुजाएं हैं और इनके दसों हाथों में खड्ग, बाण आदि शस्त्र विभूषित है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है इसलिए इन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके गले में सफेद फूलों की माला सुशोभित रहती है। इनका स्वरूप अत्यंत सौम्यता और शांति से परिपूर्ण रहता है। सिंह की सवारी करने वाली मां चंद्रघंटा दुष्टों और दानवों का नाश करती है व भक्तों के कष्टों को शीघ्र ही हर लेती है। मां चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों के समस्त पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती हैं।

मां चंद्रघंटा की पूजा-विधि….

नवरात्रि के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े धारण करें, इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें, मां को शुद्ध जल और पंचामृत से स्नान कराएं व भिन्न-भिन्न प्रकार के फूल,अक्षत, सिंदूर, कुमकुम अर्पित करें। फिर विधि-विधान से मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की अराधना करें। मां की पूजा आरंभ करते समय इस मंत्र का जाप करें :-

“उं देवी चंद्रघंटायै नम:”

माँ को किस वस्तु का लागए भोग…

माँ चंद्रघंटा को खीर बहुत प्रिय है। माँ चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी चीजों का भोग लगाए। आप माता को भोग में दूध से बनी केसर, बादाम की खीर का भोग लगा सकते हैं। मां चंद्रघंटा को सफेद कमल गुलाब व लाल गुड़हल के फूलों की माला अर्पण कर दोनों हाथ जोड़ते हुए निम्नलिखित मंत्र का जाप करें.

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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