कल है चैत्र नवरात्रों की महानवमी, इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की होती है पूजा-अर्चाना, कैसे करें माँ की पूजा-अर्चना व क्या लागए भोग, पढ़े केवल वीर केसरी पर..

इस दिन हलवा-चना, पूड़ी, चावल और नारियल का माँ को लगाए भोग व करे कंजक पूजन

जालंधर,09अप्रैल-(टिंकू पंडित):- चैत्र नवरात्रि का कल 10 अप्रैल 2022 दिन रविवार को नवम दिवस है। इस दिन को दुर्गा नवमी वा राम नवमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चाना की जाती है। जैसा कि इनके नाम से स्पष्ट हो रहा है कि मां सभी प्रकार की सिद्धी और मोक्ष को देने वाली हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा देवता, ऋषि मुनि व मनुष्य सभी करते हैं। नवरात्रि के अंतिम दिन मां की पूजा पूरे विधि विधान के साथ करने वाले उपासक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही यश, बल और धन की भी प्राप्ति होती है।सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व यह आठ सिद्धियां हैं। ये आठों सिद्धियां मां की पूजा और कृपा से प्राप्त की जा सकती हैं।भगवान शिव ने भी इन्ही देवी की कठिन तपस्या कर इनसे आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था। साथ ही मां सिद्धिदात्री की कृपा से महादेव का आधा शरीर देवी की हो गई थी और वह अर्धनारीश्वर कहलाए। नवरात्र के नौवें दिन इनकी पूजा व कंजक पूजन करने के उपरांत नवरात्रि का समापन माना जाता है। इस दिन रामनवमी का उत्सव भी बहुत धूमधाम से वह श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है।

माता का स्वरूप 

माता महालक्ष्मी की तरह मां सिद्धिदात्री भी कमल पर विराजमान रहती ।इनके चार हाथ हैं। इन हाथो मे शंख, गदा, कमल का फूल तथा चक्र धारण किए हुए हैं। सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं, जो श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से अपने भक्तों को सम्मोहित करती हैं। इस दिन मां को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

क्या है माँ की पूजा-विधि
व क्या लागए भोग

नवरात्रि के नौवें दिन सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण कर मां की ज्योत जलाकर मां का ध्यान करना चाहिए। इस दिन मां को कमल के फूल अर्पित करने चाहिए। मातारानी को अक्षत्, पुष्प, धूप, सिंदूर, गंध, फल आदि समर्पित करें। उनको ​विशेषकर तिल का भोग लगाएं। इस दिन हलवा-चना, पूड़ी, चावल और नारियल का भोग लगाया जाता है। साथ ही नवरात्र के अंतिम दिन नवदुर्गा का जाप कर देवी के नाम से हवन-पूजन करना चाहिए। बनाए हुए प्रसाद का भोग माता को लगा कर कंजक पूजन करना चाहिए। कंजक पूजन में यही भोग का प्रसाद कंजकों को परोसना चाहिए और यथा शक्ति उपहार देकर कंजर्को को विदा करना चाहिए। इससे मां प्रसन्न होती हैं और भाग्य का उदय भी होता है। इस दिन लाल, बैंगनी या जामुनी रंग पहनना शुभ होता है।


अंत में मां सिद्धिदात्री की आरती करें। मां दुर्गा को खीर, मालपुआ, केला, नारियल और मिष्ठाई बहुत पसंद है। मातारानी को प्रसन्न करने के लिए आप इनका भोग लगा सकते हैं।

 

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