उद्यमी सरकार को आयकर तथा जी एस टी के रूप में बड़ा राजस्व करवाता है जमा:- विक्रांत शर्मा
जालंधर, 22 जून (टिंकु पंडित):- केन्द्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी के सानिध्य में केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा बजट पूर्व बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें लघु उद्योग भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष घनश्याम ओझा व महामंत्री ओमप्रकाश गुप्ता ने रखा। उक्त जानकारी देते हुए अखिल भारतीय उपाध्यक्ष एडवोकेट अरविंद धूमल ने बताया कि देश भर से एकत्रित सुझावों पर आधारित एक विस्तृत ज्ञापन भी दिया गया। इस अवसर पर एम एस एम ई राजस्व व वित्त मंत्रालय के अधिकारी व मुख्य आर्थिक सलाहकार भी उपस्थित रहे।
इस दौरान दिए गए सुझावों सबंधी चर्चा करते हुए लघु उद्योग भारती पंजाब के उपाध्यक्ष विक्रांत शर्मा ने बताया कि जी एस टी जब 2017 में लागू हुआ, जानकारी के अभाव के कुछ तकनीकी गलतियां हुई जिसके कारण वर्तमान में ऑडिट में कई प्रकार की शास्ति लगायी जा रही है। इन तकनीकी कमियों को दूर करने के लिये सरकार एक एमेनेस्टी योजना लाए, अगर टैक्स बकाया है तो एक मुश्त समाधान योजना से उसका निपटारा हो, अगर एम एस एम ई ऋण के लिए एक बैंक से दूसरे बैंक में खाता बदलता है तो उससे किसी प्रकार का शुल्क न लिया जाए, उद्यमी सरकार को आयकर तथा जी एस टी के रूप में बड़ा राजस्व जमा करवाता है।
देश के लिए उनके योगदान को देखते हुए सेवा निवृति के बाद सामाजिक सुरक्षा के तहत् उसे कुछ मानदेय अवश्य मिलना चाहिए, एम एस एम ई में नियमित भुगतान के लिए 43 (बी) एच में व्याप्त कुछ व्याहारिक कठिनाईयों में संशोधन किया जाए, इसका एम एस एम ई समाधान पोर्टल के साथ एकीकृत होना चाहिए साथ ही सरकार के सभी सरकारी विभागों से आग्रह है कि वे भी समय पर भुगतान करें, निर्यात से विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। अगले 3 वर्षों में देश का निर्यात दुगुना कैसे हो, इसके लिये सरकार को एक विशेष पैकेज की योजना लागू करनी चाहिए।
जॉब वर्क करने वाले छोटे उद्यमी होते हैं उन पर समान रूप से 5 प्रतिशत का जी एस टी ली जानी चाहिए। एम एस एम ई में तकनीकी उन्नयन के लिये सरकार एक विशेष योजना लाए। मुद्रा योजना सरकार की बहुत अच्छी योजना है। सरकार बैंकों को बाध्य करे कि वो इस योजना के अंतर्गत एम एस एम ई को अधिक से अधिक ऋण प्रदान करें। आई जी एस टी, एस जी एस टी, सी जी एस टी में उपलब्ध इनपुट केडिट तीनो सेगमेन्ट में उपयोग करने की स्वीकृति देनी चाहिए। जी एस टी में सेक्शन 16 (2) को वापस लिया जाए। इसमें खरीददार, बिक्रीदाता को 180 दिन में भुगतान नहीं करता है तो उसे जी एस टी रिवर्स करनी पड़ती है जबकि वह जी एस टी जमा करवा चुका होता है। जिस-जिस उत्पाद पर जी एस टी कम है व उनके कच्चे माल व सर्विस सेक्टर में जी एस टी ज्यादा देना पड़ता है। जी एस टी का रिफण्ड ज्यादा बनता है उन उत्पादों के दरों को पुनः निर्धारित करने की आवश्यकता है। वर्तमान में रूफटॉप सोलर लगाने की विद्युत विभाग की स्वीकृत भार की सीमा है इसे हटाया जाना चाहिए। इसी प्रकार जी एस टी, बैंक, आयकर व विभिन्न पॉलिसी मैटर पर सुझाव प्रेषित किये गए। इसके अतिरिक्त 2030 तक भारत किस प्रकार 10 ट्रिलियन इकॉनोमी बन सकता है, इसके लिए लघु उद्योग भारती ने आठ सूत्रीय आधारभूत केंद्रित आर्थिक विकास योजना भी प्रस्तुत की है।