मोक्ष प्राप्ति करने का सरल उपाय करो जाप “ओम नमः शिवाय”
जालंधर, 27फरवरी (टिंकू पंडित):-
देवों के देव महादेव और आदि शक्ति मां पार्वती जी के पवित्र विवाह बंधन के उपलक्ष में मनाय जाने वाला पावन पर्व महाशिवरात्रि इस वर्ष फागुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दर्शी तिथि 1 मार्च दिन मंगलवार को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान भोलेनाथ की चार पहर की पूजा करने का विधान है। कई भक्त दिन के चार पहर की पूजा करते हैं और कई भक्त रात के चार पहर की पूजा करते हैं। इस दिन भगवान शिव को रुद्राअभिषेक करवाने का भी विशेष महत्व है। वैसे तो भोलेनाथ श्रद्धा से अर्पित किए हुए जल और फूल पत्र से भी प्रसन्न हो जाते हैं परंतु भक्त लोग पूरे विधि विधान से भी रुद्राअभिषेक और गौरी पूजन करते हैं। इस पूजन को करने के लिए कच्चा दूध, गंगाजल, शक्कर, शहद, दही, देसी घी, बेलपत्र, बेल फल, अध, धतूरा, लाल कपड़ा, चुन्नी, फल, फूल, सुहागिनों द्वारा प्रयोग किए जाने वाला सुहाग का सामान और इच्छा अनुसार दान करना होता है। इस दिन भक्तजन व्रत रखते हैं । फिर संध्या के समय कथा सुनने के बाद अगले दिन सूर्योदय के बाद उपवास खोलते हैं। उपवास में केवल दूध और फल का ही सेवन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार विधिपूर्वक व्रत रखकर शिवपूजन कर शिव स्तोत्र का पाठ एवं ओम नमः शिवाय का पाठ करना चाहिए। महाशिवरात्रि की रात को जागरण करने से अश्वमेघ तुल्य फलों की प्राप्ति होती है। व्रत के अगले दिन ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान- दक्षिणा, भोजन व वस्त्र दान से संतुष्ट करना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है उपवास को करने से भगवान भोलेनाथ की अनुपम कृपा होती है।